मस्जिद कमेटी ने संभल की एक अदालत के आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दी थी चुनौती
प्रयागराज । इलाहावाद उच्च न्यायालय ने शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर से जुड़े विवाद में सर्वेक्षण कराने संबंधी संभल की एक अदालत के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका सोमवार को खारिज कर दी । उच्च न्यायालय ने कहा कि अधिवक्ता आयोग की नियुक्ति और वाद दोनों ही विचारणीय है। यह निर्णय न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनाया, जिन्होंने मस्जिद कमेटी के वकीलों, मंदिर पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और एएसआई के वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मस्जिद कमेटी ने संभल की एक अदालत के आदेश को इलाहावाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी । संभल की अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त के जरिये मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने फैसले में कहा, “मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी की यह दलील कि मस्जिद से जुड़ा विवाद 1877 में निपटा लिया गया, इस चरण में स्वीकार्य नहीं है क्योंकि 1877 निर्णय एक पुराने भवन की बात करता है जबकि 1920 में जुमा मस्जिद को 1904 के अधिनियम के तहत एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था । उच्च न्यायालय ने कहा, “यदि मालिकाना हक के वाद का 1877 में पुनरीक्षण याचिका दायर करने वाले के पक्ष में निर्णय हो गया था तव यह प्रश्न उठता है कि इन्होंने विवादित ढांचे को लेकर 1927 में 1904 के अधिनियम के तहत समझौता क्यों किया था।
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट का टूक : भारत धर्मशाला नहीं जहां दुनियाभर से आए विदेशियों को रखा जा सके
